Summary
What You tell me, I take all to be true, O Kesava ! For, O Bhagavat, neither the gods nor the great seers know Your manifestation.
पदच्छेदः
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सर्वमेतदृतं | सर्व (२.१)–एतद् (२.१)–ऋत (२.१) |
मन्ये | मन्ये (√मन् लट् उ.पु. ) |
यन्मां | यद् (२.१)–मद् (२.१) |
वदसि | वदसि (√वद् लट् म.पु. ) |
केशव | केशव (८.१) |
न | न (अव्ययः) |
हि | हि (अव्ययः) |
ते | त्वद् (६.१) |
भगवन्व्यक्तिं | भगवन्त् (८.१)–व्यक्ति (२.१) |
विदुर्देवा | विदुः (√विद् लिट् प्र.पु. बहु.)–देव (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
दानवाः | दानव (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | र्व | मे | त | दृ | तं | म | न्ये |
य | न्मां | व | द | सि | के | श | व |
न | हि | ते | भ | ग | व | न्व्य | क्तिं |
वि | दु | र्दे | वा | न | दा | न | वाः |