Summary
They enter, hastening, into Your terrible mouths, frightening with tusks; some [of them], sticking in between Your teeth, are clearly visible with their heads powered.
पदच्छेदः
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वक्त्राणि | वक्त्र (२.३) |
ते | त्वद् (६.१) |
त्वरमाणा | त्वरमाण (√त्वर् + शानच्, १.३) |
विशन्ति | विशन्ति (√विश् लट् प्र.पु. बहु.) |
दंष्ट्राकरालानि | दंष्ट्र–कराल (२.३) |
भयानकानि | भयानक (२.३) |
केचिद्विलग्ना | कश्चित् (१.३)–विलग्न (√वि-लग् + क्त, १.३) |
दशनान्तरेषु | दशन–अन्तर (७.३) |
संदृश्यन्ते | संदृश्यन्ते (√सम्-दृश् प्र.पु. बहु.) |
चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः | चूर्णित (√चूर्णय् + क्त, ३.३)–उत्तमाङ्ग (३.३) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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व | क्त्रा | णि | ते | त्व | र | मा | णा | वि | श | न्ति |
दं | ष्ट्रा | क | रा | ला | नि | भ | या | न | का | नि |
के | चि | द्वि | ल | ग्ना | द | श | ना | न्त | रे | षु |
सं | दृ | श्य | न्ते | चू | र्णि | तै | रु | त्त | मा | ङ्गैः |