Summary
Salutation to You in the front and behind; salutation to You, just on all sides, O One Who are All ! You are of infinite might and of immeasurable powers; and You pervade all and hence You are all.
पदच्छेदः
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नमः | नमस् (१.१) |
पुरस्तादथ | पुरस्तात् (अव्ययः)–अथ (अव्ययः) |
पृष्ठतस्ते | पृष्ठतस् (अव्ययः)–त्वद् (४.१) |
नमो | नमस् (१.१) |
ऽस्तु | अस्तु (√अस् लोट् प्र.पु. एक.) |
ते | त्वद् (४.१) |
सर्वत | सर्वतस् (अव्ययः) |
एव | एव (अव्ययः) |
सर्व | सर्व (८.१) |
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं | अनन्त–वीर्य–अमित–विक्रम (१.१)–त्वद् (१.१) |
सर्वं | सर्व (२.१) |
समाप्नोषि | समाप्नोषि (√सम्-आप् लट् म.पु. ) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
ऽसि | असि (√अस् लट् म.पु. ) |
सर्वः | सर्व (१.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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न | मः | पु | र | स्ता | द | थ | पृ | ष्ठ | त | स्ते |
न | मो | ऽस्तु | ते | स | र्व | त | ए | व | स | र्व |
अ | न | न्त | वी | र्या | मि | त | वि | क्र | म | स्त्वं |
स | र्वं | स | मा | प्नो | षि | त | तो | ऽसि | स | र्वः |