Summary
Taking You for a [mere] companion, not knowing this greatness of Yours, and out of my carelessness or through even affection, whatever I have importunately called You as O Krsna, O Yadava, O Comrade; and,
पदच्छेदः
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सखेति | सखि (१.१)–इति (अव्ययः) |
मत्वा | मत्वा (√मन् + क्त्वा) |
प्रसभं | प्रसभम् (अव्ययः) |
यदुक्तं | यद् (१.१)–उक्त (√वच् + क्त, १.१) |
हे | हे (अव्ययः) |
कृष्ण | कृष्ण (८.१) |
हे | हे (अव्ययः) |
यादव | यादव (८.१) |
हे | हे (अव्ययः) |
सखेति | सखि (१.१)–इति (अव्ययः) |
अजानता | अजानत् (३.१) |
महिमानं | महिमन् (२.१) |
तवेदं | त्वद् (६.१)–इदम् (१.१) |
मया | मद् (३.१) |
प्रमादात्प्रणयेन | प्रमाद (५.१)–प्रणय (३.१) |
वापि | वा (अव्ययः)–अपि (अव्ययः) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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स | खे | ति | म | त्वा | प्र | स | भं | य | दु | क्तं |
हे | कृ | ष्ण | हे | या | द | व | हे | स | खे | ति |
अ | जा | न | ता | म | हि | मा | नं | त | वे | दं |
म | या | प्र | मा | दा | त्प्र | ण | ये | न | वा | पि |