Summary
Let there be no distress and no bewilderment in you by seeing this terrific and violent form of Mine; being free from fear, cheerful at heart, behold again this form of Mine which is the same [as before].
पदच्छेदः
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मा | मा (अव्ययः) |
ते | त्वद् (६.१) |
व्यथा | व्यथा (१.१) |
मा | मा (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
विमूढभावो | विमूढ (√वि-मुह् + क्त)–भाव (१.१) |
दृष्ट्वा | दृष्ट्वा (√दृश् + क्त्वा) |
रूपं | रूप (२.१) |
घोरमीदृङ्ममेदम् | घोर (२.१)–ईदृश् (२.१)–मद् (६.१)–इदम् (२.१) |
व्यपेतभीः | व्यपेत (√व्यप-इ + क्त)–भी (१.१) |
प्रीतमनाः | प्रीत (√प्री + क्त)–मनस् (१.१) |
पुनस्त्वं | पुनर् (अव्ययः)–त्वद् (१.१) |
तदेव | तद् (२.१)–एव (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
रूपमिदं | रूप (२.१)–इदम् (२.१) |
प्रपश्य | प्रपश्य (√प्र-पश् लोट् म.पु. ) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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मा | ते | व्य | था | मा | च | वि | मू | ढ | भा | वो |
दृ | ष्ट्वा | रू | पं | घो | र | मी | दृ | ङ्म | मे | दम् |
व्य | पे | त | भीः | प्री | त | म | नाः | पु | न | स्त्वं |
त | दे | व | मे | रू | प | मि | दं | प्र | प | श्य |