Summary
Having said to Arjuna as above, Vasudeva revealed His own tiny form; assuming His gentle body once again, the Mighty Soul (Krsna) consoled the frightened Arjuna.
पदच्छेदः
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इत्यर्जुनं | इति (अव्ययः)–अर्जुन (२.१) |
वासुदेवस्तथोक्त्वा | वासुदेव (१.१)–तथा (अव्ययः)–उक्त्वा (√वच् + क्त्वा) |
स्वकं | स्वक (२.१) |
रूपं | रूप (२.१) |
दर्शयामास | दर्शयामास (√दर्शय् प्र.पु. एक.) |
भूयः | भूयस् (अव्ययः) |
आश्वासयामास | आश्वासयामास (√आ-श्वासय् प्र.पु. एक.) |
च | च (अव्ययः) |
भीतमेनं | भीत (√भी + क्त, २.१)–एनद् (२.१) |
भूत्वा | भूत्वा (√भू + क्त्वा) |
पुनः | पुनर् (अव्ययः) |
सौम्यवपुर्महात्मा | सौम्य–वपुस् (१.१)–महात्मन् (१.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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इ | त्य | र्जु | नं | वा | सु | दे | व | स्त | थो | क्त्वा |
स्व | कं | रू | पं | द | र्श | या | मा | स | भू | यः |
आ | श्वा | स | या | मा | स | च | भी | त | मे | नं |
भू | त्वा | पु | नः | सौ | म्य | व | पु | र्म | हा | त्मा |