Summary
Arjuna said Those devotees who, being constantly attached [to You], worship You thus; and also those who [worship] the motionless Unmanifest-of these who who are the best knowers of Yoga ?
पदच्छेदः
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एवं | एवम् (अव्ययः) |
सततयुक्ता | सतत–युक्त (√युज् + क्त, १.३) |
ये | यद् (१.३) |
भक्तास्त्वां | भक्त (१.३)–त्वद् (२.१) |
पर्युपासते | पर्युपासते (√पर्युप-आस् लट् प्र.पु. बहु.) |
ये | यद् (१.३) |
चाप्यक्षरमव्यक्तं | च (अव्ययः)–अपि (अव्ययः)–अक्षर (२.१)–अव्यक्त (२.१) |
तेषां | तद् (६.३) |
के | क (१.३) |
योगवित्तमाः | योग–वित्तम (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | वं | स | त | त | यु | क्ता | ये |
भ | क्ता | स्त्वां | प | र्यु | पा | स | ते |
ये | चा | प्य | क्ष | र | म | व्य | क्तं |
ते | षां | के | यो | ग | वि | त्त | माः |