Summary
Those, who contemplate on the Unmanifest, Which is motionless, undefinable, all-pervading, unthinkable, peaklike, unmoving and fixed;
पदच्छेदः
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ये | यद् (१.३) |
त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं | तु (अव्ययः)–अक्षर (२.१)–अनिर्देश्य (२.१)–अव्यक्त (२.१) |
पर्युपासते | पर्युपासते (√पर्युप-आस् लट् प्र.पु. एक.) |
सर्वत्रगमचिन्त्यं | सर्वत्रग (२.१)–अचिन्त्य (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
कूटस्थमचलं | कूटस्थ (२.१)–अचल (२.१) |
ध्रुवम् | ध्रुव (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ये | त्व | क्ष | र | म | नि | र्दे | श्य |
म | व्य | क्तं | प | र्यु | पा | स | ते |
स | र्व | त्र | ग | म | चि | न्त्यं | च |
कू | ट | स्थ | म | च | लं | ध्रु | वम् |