Summary
For, the Soul, seated on the Material Cause, enjoys the Strands born of the Material Cause; His attachment to the Strands is the cause for his births in the good and evil wombs.
पदच्छेदः
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पुरुषः | पुरुष (१.१) |
प्रकृतिस्थो | प्रकृति–स्थ (१.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
भुङ्क्ते | भुङ्क्ते (√भुज् लट् प्र.पु. एक.) |
प्रकृतिजान्गुणान् | प्रकृति–ज (२.३)–गुण (२.३) |
कारणं | कारण (१.१) |
गुणसङ्गो | गुण–सङ्ग (१.१) |
ऽस्य | इदम् (६.१) |
सदसद्योनिजन्मसु | सत् (√अस् + शतृ)–असत्–योनि–जन्मन् (७.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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पु | रु | षः | प्र | कृ | ति | स्थो | हि |
भु | ङ्क्ते | प्र | कृ | ति | जा | न्गु | णान् |
का | र | णं | गु | ण | स | ङ्गो | ऽस्य |
स | द | स | द्यो | नि | ज | न्म | सु |