Summary
In creating [the process of] cause-and-effect, the Material Cause is said to be the basis; and in experiencing pleasure and pain, the Soul is said to be the basis.
पदच्छेदः
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कार्यकारणकर्तृत्वे | कार्य–कारण–कर्तृ–त्व (७.१) |
हेतुः | हेतु (१.१) |
प्रकृतिरुच्यते | प्रकृति (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
पुरुषः | पुरुष (१.१) |
सुखदुःखानां | सुख–दुःख (६.३) |
भोक्तृत्वे | भोक्तृ–त्व (७.१) |
हेतुरुच्यते | हेतु (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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का | र्य | का | र | ण | क | र्तृ | त्वे |
हे | तुः | प्र | कृ | ति | रु | च्य | ते |
पु | रु | षः | सु | ख | दुः | खा | नां |
भो | क्तृ | त्वे | हे | तु | रु | च्य | ते |