Summary
The instrument of knowledge, the object-of-knowledge, and the knowing subject-the prompting-in-action, consisting of these three-fold elements is [itself] the proper grasping of action with three-fold elements viz., the instrument, the object and the agent.
पदच्छेदः
Click to Toggle
ज्ञानं | ज्ञान (१.१) |
ज्ञेयं | ज्ञेय (√ज्ञा + कृत्, १.१) |
परिज्ञाता | परिज्ञातृ (१.१) |
त्रिविधा | त्रिविध (१.१) |
कर्मचोदना | कर्मन्–चोदन (१.१) |
करणं | करण (१.१) |
कर्म | कर्मन् (१.१) |
कर्तेति | कर्तृ (१.१)–इति (अव्ययः) |
त्रिविधः | त्रिविध (१.१) |
कर्मसंग्रहः | कर्मन्–संग्रह (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
ज्ञा | नं | ज्ञे | यं | प | रि | ज्ञा | ता |
त्रि | वि | धा | क | र्म | चो | द | ना |
क | र | णं | क | र्म | क | र्ते | ति |
त्रि | वि | धः | क | र्म | सं | ग्र | हः |