Summary
The instrument of knowledge, the object and the agent are just three kinds because of the differences in the Strands-thus it is declared in enumerating the Strands. These also you must listen to [from Me] as they are.
पदच्छेदः
Click to Toggle
ज्ञानं | ज्ञान (१.१) |
कर्म | कर्मन् (१.१) |
च | च (अव्ययः) |
कर्ता | कर्तृ (१.१) |
च | च (अव्ययः) |
त्रिधैव | त्रिधा (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
गुणभेदतः | गुण–भेद (५.१) |
प्रोच्यते | प्रोच्यते (√प्र-वच् प्र.पु. एक.) |
गुणसंख्याने | गुण–संख्यान (७.१) |
यथावच्छृणु | यथावत् (अव्ययः)–शृणु (√श्रु लोट् म.पु. ) |
तान्यपि | तद् (२.३)–अपि (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
ज्ञा | नं | क | र्म | च | क | र्ता | च |
त्रि | धै | व | गु | ण | भे | द | तः |
प्रो | च्य | ते | गु | ण | सं | ख्या | ने |
य | था | व | च्छृ | णु | ता | न्य | पि |