Summary
The object which is gained, due to ignorance, without considering the result, the loss, the injury to others and the strength [of one's own]-that is declared to be of the Tamas (Strand).
पदच्छेदः
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अनुबन्धं | अनुबन्ध (२.१) |
क्षयं | क्षय (२.१) |
हिंसामनपेक्ष्य | हिंसा (२.१)–अनपेक्ष्य (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
पौरुषम् | पौरुष (२.१) |
मोहादारभ्यते | मोह (५.१)–आरभ्यते (√आ-रभ् प्र.पु. एक.) |
कर्म | कर्मन् (१.१) |
यत्तत्तामसमुच्यते | यद् (१.१)–तद् (१.१)–तामस (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | नु | ब | न्धं | क्ष | यं | हिं | सा |
म | न | पे | क्ष्य | च | पौ | रु | षम् |
मो | हा | दा | र | भ्य | ते | क | र्म |
य | त्त | त्ता | म | स | मु | च्य | ते |