Summary
The intellect which, containing darkness (ignorance), conceives the unrighteous one as righteous and all things topsy-turvy-that intellect is deemed to be of the Tamas (Strand).
पदच्छेदः
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अधर्मं | अधर्म (२.१) |
धर्ममिति | धर्म (२.१)–इति (अव्ययः) |
या | यद् (१.१) |
मन्यते | मन्यते (√मन् लट् प्र.पु. एक.) |
तमसावृता | तमस् (३.१)–आवृत (√आ-वृ + क्त, १.१) |
अयथावत्प्रजानाति | अयथावत् (अव्ययः)–प्रजानाति (√प्र-ज्ञा लट् प्र.पु. एक.) |
बुद्धिः | बुद्धि (१.१) |
सा | तद् (१.१) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
राजसी | राजस (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | ध | र्मं | ध | र्म | मि | ति | या |
म | न्य | ते | त | म | सा | वृ | ता |
स | र्वा | र्था | न्वि | प | री | तां | श्च |
बु | द्धिः | सा | पा | र्थ | ता | म | सी |