Summary
Yet again, you must listen to My ultimate (or supreme) message which is the highest secret of all. You are My dear one and have a firm intellect. Hence I shall tell you what is good to you :
पदच्छेदः
Click to Toggle
भूय | भूयस् (अव्ययः) |
एव | एव (अव्ययः) |
महाबाहो | महत्–बाहु (८.१) |
शृणु | शृणु (√श्रु लोट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
परमं | परम (२.१) |
वचः | वचस् (२.१) |
इष्टो | इष्ट (√इष् + क्त, १.१) |
ऽसि | असि (√अस् लट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
दृढमिति | दृढम् (अव्ययः)–इति (अव्ययः) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
वक्ष्यामि | वक्ष्यामि (√वच् लृट् उ.पु. ) |
ते | त्वद् (४.१) |
हितम् | हित (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
स | र्व | गु | ह्य | त | मं | भू | यः |
शृ | णु | मे | प | र | मं | व | चः |
इ | ष्टो | ऽसि | मे | दृ | ढ | मि | ति |
त | तो | व | क्ष्या | मि | ते | हि | तम् |