Summary
This someone observes as a wonder; similarly another speaks of This as a wonder; another hears This as a wonder; but even after hearing, not even one understands This.
पदच्छेदः
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आश्चर्यवत्पश्यति | आश्चर्य–वत् (अव्ययः)–पश्यति (√दृश् लट् प्र.पु. एक.) |
कश्चिदेनम् | कश्चित् (१.१)–एनद् (२.१) |
आश्चर्यवद्वदति | आश्चर्य–वत् (अव्ययः)–वदति (√वद् लट् प्र.पु. एक.) |
तथैव | तथा (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
चान्यः | च (अव्ययः)–अन्य (१.१) |
आश्चर्यवच्चैनमन्यः | आश्चर्य–वत् (अव्ययः)–च (अव्ययः)–एनद् (२.१)–अन्य (१.१) |
शृणोति | शृणोति (√श्रु लट् प्र.पु. एक.) |
श्रुत्वाप्येनं | श्रुत्वा (√श्रु + क्त्वा)–अपि (अव्ययः)–एनद् (२.१) |
वेद | वेद (√विद् लिट् प्र.पु. एक.) |
न | न (अव्ययः) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
कश्चित् | कश्चित् (१.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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आ | श्च | र्य | व | त्प | श्य | ति | क | श्चि | दे | न |
मा | श्च | र्य | व | द्व | द | ति | त | थै | व | चा | न्यः |
आ | श्च | र्य | व | च्चै | न | म | न्यः | शृ | णो | ति |
श्रु | त्वा | प्ये | नं | वे | द | न | चै | व | क | श्चित् |