Summary
For, if I were ever not at work unwearied, all men would follow My path, O son of Prtha !
पदच्छेदः
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यदि | यदि (अव्ययः) |
ह्यहं | हि (अव्ययः)–मद् (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
वर्तेयं | वर्तेयम् (√वृत् विधिलिङ् उ.पु. ) |
जातु | जातु (अव्ययः) |
कर्मण्यतन्द्रितः | कर्मन् (७.१)–अतन्द्रित (१.१) |
मम | मद् (६.१) |
वर्त्मानुवर्तन्ते | वर्त्मन् (२.१)–अनुवर्तन्ते (√अनु-वृत् लट् प्र.पु. बहु.) |
मनुष्याः | मनुष्य (१.३) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
सर्वशः | सर्वशस् (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | दि | ह्य | हं | न | व | र्ते | यं |
जा | तु | क | र्म | ण्य | त | न्द्रि | तः |
म | म | व | र्त्मा | नु | व | र्त | न्ते |
म | नु | ष्याः | पा | र्थ | स | र्व | शः |