Summary
These worlds would perish if I were not to perform action; and I would be a cause of confusion; I would destroy these people.
पदच्छेदः
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उत्सीदेयुरिमे | उत्सीदेयुः (√उत्-सद् विधिलिङ् प्र.पु. बहु.)–इदम् (१.३) |
लोका | लोक (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
कुर्यां | कुर्याम् (√कृ विधिलिङ् उ.पु. ) |
कर्म | कर्मन् (२.१) |
चेदहम् | चेद् (अव्ययः)–मद् (१.१) |
संकरस्य | संकर (६.१) |
च | च (अव्ययः) |
कर्ता | कर्तृ (१.१) |
स्याम् | स्याम् (√अस् विधिलिङ् उ.पु. ) |
उपहन्यामिमाः | उपहन्याम् (√उप-हन् विधिलिङ् उ.पु. )–इदम् (२.३) |
प्रजाः | प्रजा (२.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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उ | त्सी | दे | यु | रि | मे | लो | का |
न | कु | र्यां | क | र्म | चे | द | हम् |
सं | क | र | स्य | च | क | र्ता | स्या |
मु | प | ह | न्या | मि | माः | प्र | जाः |