Summary
I am the same in all beings; to Me none is hateful and none is dear; but whosoever worship Me with devotion, they are in Me and I am in them.
पदच्छेदः
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समो | सम (१.१) |
ऽहं | मद् (१.१) |
सर्वभूतेषु | सर्व–भूत (७.३) |
न | न (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
द्वेष्यो | द्वेष्य (√द्विष् + कृत्, १.१) |
ऽस्ति | अस्ति (√अस् लट् प्र.पु. एक.) |
न | न (अव्ययः) |
प्रियः | प्रिय (१.१) |
ये | यद् (१.३) |
भजन्ति | भजन्ति (√भज् लट् प्र.पु. बहु.) |
तु | तु (अव्ययः) |
मां | मद् (२.१) |
भक्त्या | भक्ति (३.१) |
मयि | मद् (७.१) |
ते | तद् (१.३) |
तेषु | तद् (७.३) |
चाप्यहम् | च (अव्ययः)–अपि (अव्ययः)–मद् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | मो | ऽहं | स | र्व | भू | ते | षु |
न | मे | द्वे | ष्यो | ऽस्ति | न | प्रि | यः |
ये | भ | ज | न्ति | तु | मां | भ | क्त्या |
म | यि | ते | ते | षु | चा | प्य | हम् |