पदच्छेदः
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आलोलाम् | आलोल (२.१) |
अलकावलीं | अलक–आवलि (२.१) |
विलुलितां | विलुलित (√वि-लुल् + क्त, २.१) |
बिभ्रच्चलत्कुण्डलं | बिभ्रत् (√भृ + शतृ, २५३.२५४)–चलत् (√चल् + शतृ, २५३.२५४)–कुण्डल (२.१) |
किंचिन् | कश्चित् (२.१) |
मृष्टविशेषकं | मृष्ट (√मृज् + क्त)–विशेषक (२.१) |
तनुतरैः | तनुतर (३.३) |
खेदाम्भसां | खेद–अम्भस् (६.३) |
शीकरैः | शीकर (३.३) |
तन्व्या | तन्वी (६.१) |
यत् | यद् (१.१) |
सुरतान्ततान्तनयनं | सुरत–अन्त–तान्त (√तम् + क्त)–नयन (१.१) |
वक्त्रं | वक्त्र (१.१) |
रतिव्यत्यये | रति–व्यत्यय (७.१) |
तत्त्वां | तद् (१.१)–त्वद् (२.१) |
पातु | पातु (√पा लोट् प्र.पु. एक.) |
चिराय | चिर (४.१) |
किं | क (१.१) |
हरिहरब्रह्मादिभिर्दैवतैः | हरि–हर–ब्रह्मन्–आदि (३.३)–दैवत (३.३) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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आ | लो | ला | म | ल | का | व | लीं | वि | लु | लि | तां | बि | भ्र | च्च | ल | त्कु | ण्ड | लं |
किं | चि | न्मृ | ष्ट | वि | शे | ष | कं | त | नु | त | रैः | खे | दा | म्भ | सां | शी | क | रैः |
त | न्व्या | य | त्सु | र | ता | न्त | ता | न्त | न | य | नं | व | क्त्रं | र | ति | व्य | त्य | ये |
त | त्त्वां | पा | तु | चि | रा | य | किं | ह | रि | ह | र | ब्र | ह्मा | दि | भि | र्दै | व | तैः |
म | स | ज | स | त | त | ग |