पदच्छेदः
Click to Toggle
लिखन्नास्ते | लिखत् (√लिख् + शतृ, १.१)–न (अव्ययः)–आस्ते (√आस् लट् प्र.पु. एक.) |
भूमिं | भूमि (२.१) |
बहिरवनतः | बहिस् (अव्ययः)–अवनत (√अव-नम् + क्त, १.१) |
प्राणदयितो | प्राणदयित (१.१) |
निराहाराः | निराहार (१.३) |
सख्यः | सखी (१.३) |
सततरुदितोच्छूननयनाः | सतत–रुदित–उच्छून–नयन (१.३) |
परित्यक्तं | परित्यक्त (√परि-त्यज् + क्त, १.१) |
सर्वं | सर्व (१.१) |
हसितपठितं | हसित–पठित (√पठ् + क्त, १.१) |
पञ्जरशुकैस् | पञ्जर–शुक (३.३) |
तवावस्था | त्वद् (६.१)–अवस्था (१.१) |
चेयं | च (अव्ययः)–इदम् (१.१) |
विसृज | विसृज (√वि-सृज् लोट् म.पु. ) |
कठिने | कठिन (८.१) |
मानमधुना | मान–मधु (३.१) |
छन्दः
शिखरिणी [१७: यमनसभलग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ |
---|
लि | ख | न्ना | स्ते | भू | मिं | ब | हि | र | व | न | तः | प्रा | ण | द | यि | तो |
नि | रा | हा | राः | स | ख्यः | स | त | त | रु | दि | तो | च्छू | न | न | य | नाः |
प | रि | त्य | क्तं | स | र्वं | ह | सि | त | प | ठि | तं | प | ञ्ज | र | शु | कै |
स्त | वा | व | स्था | चे | यं | वि | सृ | ज | क | ठि | ने | मा | न | म | धु | ना |
य | म | न | स | भ | ल | ग |