पदच्छेदः
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तद् | तद् (२.१) |
आशु | आशु (अव्ययः) |
कर्तुं | कर्तुम् (√कृ + तुमुन्) |
त्वयि | त्वद् (७.१) |
जिह्मम् | जिह्म (१.१) |
उद्यते | उद्यत (√उत्-यम् + क्त, ७.१) |
विधीयतां | विधीयताम् (√वि-धा प्र.पु. एक.) |
तत्र | तत्र (अव्ययः) |
विधेयम् | विधेय (√वि-धा + कृत्, १.१) |
उत्तरम् | उत्तर (१.१) |
परप्रणीतानि | पर–प्रणीत (√प्र-नी + क्त, २.३) |
वचांसि | वचस् (२.३) |
चिन्वतां | चिन्वत् (√चि + शतृ, ६.३) |
प्रवृत्तिसाराः | प्रवृत्ति–सार (१.३) |
खलु | खलु (अव्ययः) |
मादृशां | मादृश् (६.३) |
धियः | धी (१.३) |
छन्दः
वंशस्थम् [१२: जतजर]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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त | दा | शु | क | र्तुं | त्व | यि | जि | ह्म | मु | द्य | ते |
वि | धी | य | तां | त | त्र | वि | धे | य | मु | त्त | रम् |
प | र | प्र | णी | ता | नि | व | चां | सि | चि | न्व | तां |
प्र | वृ | त्ति | सा | राः | ख | लु | मा | दृ | शां | धि | यः |
ज | त | ज | र |