अलङ्घ्यत्वाज्जनैर् | अ (अव्ययः)–लङ्घ्य (√लङ्घ् + कृत्)–त्व (५.१)–जन (३.३) |
अन्यैः | अन्य (३.३) |
क्षुभितोदन्वदूर्जितम् | क्षुभित (√क्षुभ् + क्त)–उदन्वन्त्–ऊर्जित (√ऊर्जय् + क्त, २.१) |
औदार्याद् | औदार्य (५.१) |
अर्थसम्पत्तेः | अर्थ–सम्पत्ति (५.१) |
शान्तं | शान्त (√शम् + क्त, २.१) |
चित्तम् | चित्त (२.१) |
ऋषेर् | ऋषि (६.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | ल | ङ्घ्य | त्वा | ज्ज | नै | र | न्यैः |
क्षु | भि | तो | द | न्व | दू | र्जि | तम् |
औ | दा | र्या | द | र्थ | स | म्प | त्तेः |
शा | न्तं | चि | त्त | मृ | षे | रि | व |