अतिपातितकालसाधना | अतिपातित (√अति-पातय् + क्त)–काल–साधन (१.१) |
स्वशरीरेन्द्रियवर्गतापनी | स्व–शरीर–इन्द्रिय–वर्ग–तापन (१.१) |
जनवन् | जन–वत् (अव्ययः) |
न | न (अव्ययः) |
भवन्तम् | भवत् (२.१) |
अक्षमा | अक्षम (१.१) |
नयसिद्धेर् | नय–सिद्धि (५.१) |
अपनेतुम् | अपनेतुम् (√अप-नी + तुमुन्) |
अर्हति | अर्हति (√अर्ह् लट् प्र.पु. एक.) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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अ | ति | पा | ति | त | का | ल | सा | ध | ना | |
स्व | श | री | रे | न्द्रि | य | व | र्ग | ता | प | नी |
ज | न | व | न्न | भ | व | न्त | म | क्ष | मा | |
न | य | सि | द्धे | र | प | ने | तु | म | र्ह | ति |