प्रसह्य | प्रसह्य (√प्र-सह् + ल्यप्) |
यो | यद् (१.१) |
ऽस्मासु | मद् (७.३) |
परैः | पर (३.३) |
प्रयुक्तः | प्रयुक्त (√प्र-युज् + क्त, १.१) |
स्मर्तुं | स्मर्तुम् (√स्मृ + तुमुन्) |
न | न (अव्ययः) |
शक्यः | शक्य (√शक् + कृत्, १.१) |
किम् | क (१.१) |
उताधिकर्तुम् | उत (अव्ययः)–अधिकर्तुम् (√अधि-कृ + तुमुन्) |
नवीकरिष्यत्युपशुष्यद् | नवीकरिष्यति (√नवी-कृ लृट् प्र.पु. एक.)–उपशुष्यत् (√उप-शुष् + शतृ, २.१) |
आर्द्रः | आर्द्र (१.१) |
स | स (अव्ययः) |
त्वद् | त्वद् (५.१) |
विना | विना (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
हृदयं | हृदय (२.१) |
निकारः | निकार (१.१) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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प्र | स | ह्य | यो | ऽस्मा | सु | प | रैः | प्र | यु | क्तः |
स्म | र्तुं | न | श | क्यः | कि | मु | ता | धि | क | र्तुम् |
न | वी | क | रि | ष्य | त्यु | प | शु | ष्य | दा | र्द्रः |
स | त्व | द्वि | ना | मे | हृ | द | यं | नि | का | रः |