अनुचरेण | अनुचर (३.१) |
धनाधिपतेर् | धनाधिपति (६.१) |
अथो | अथो (अव्ययः) |
नगविलोकनविस्मितमानसः | नग–विलोकन–विस्मित (√वि-स्मि + क्त)–मानस (१.१) |
स | तद् (१.१) |
जगदे | जगदे (√गद् लिट् प्र.पु. एक.) |
वचनं | वचन (२.१) |
प्रियम् | प्रिय (२.१) |
आदरान् | आदर (५.१) |
मुखरतावसरे | मुखर–ता–अवसर (७.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
विराजते | विराजते (√वि-राज् लट् प्र.पु. एक.) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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अ | नु | च | रे | ण | ध | ना | धि | प | ते | र | थो |
न | ग | वि | लो | क | न | वि | स्मि | त | मा | न | सः |
स | ज | ग | दे | व | च | नं | प्रि | य | मा | द | रा |
न्मु | ख | र | ता | व | स | रे | हि | वि | रा | ज | ते |
न | भ | भ | र |