पदच्छेदः
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येनापविद्धसलिलः | यद् (३.१)–अपविद्ध (√अप-व्यध् + क्त)–सलिल (१.१) |
स्फुटनागसद्मा | स्फुट–नाग–सद्मन् (१.१) |
देवासुरैर् | देव–असुर (३.३) |
अमृतम् | अमृत (२.१) |
अम्बुनिधिर् | अम्बुनिधि (१.१) |
ममन्थे | ममन्थे (√मथ् लिट् प्र.पु. एक.) |
व्यावर्तनैर् | व्यावर्तन (३.३) |
अहिपतेर् | अहिपति (६.१) |
अयम् | इदम् (१.१) |
आहिताङ्कः | आहित (√आ-धा + क्त)–अङ्क (१.१) |
खं | ख (२.१) |
व्यालिखन्न् | व्यालिखत् (√व्या-लिख् + शतृ, १.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
विभाति | विभाति (√वि-भा लट् प्र.पु. एक.) |
स | तद् (१.१) |
मन्दराद्रिः | मन्दर–अद्रि (१.१) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
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ये | ना | प | वि | द्ध | स | लि | लः | स्फु | ट | ना | ग | स | द्मा |
दे | वा | सु | रै | र | मृ | त | म | म्बु | नि | धि | र्म | म | न्थे |
व्या | व | र्त | नै | र | हि | प | ते | र | य | मा | हि | ता | ङ्कः |
खं | व्या | लि | ख | न्नि | व | वि | भा | ति | स | म | न्द | रा | द्रिः |
त | भ | ज | ज | ग | ग |