पदच्छेदः
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अस्मिन्न् | इदम् (७.१) |
अगृह्यत | अगृह्यत (√ग्रह् प्र.पु. एक.) |
पिनाकभृता | पिनाकभृत् (३.१) |
सलीलम् | सलील (१.१) |
आबद्धवेपथुर् | आबद्ध (√आ-बन्ध् + क्त)–वेपथु (१.१) |
अधीरविलोचनायाः | अधीर–विलोचन (६.१) |
विन्यस्तमङ्गलमहौषधिर् | विन्यस्त (√विनि-अस् + क्त)–मङ्गल–महत्–ओषधि (१.१) |
ईश्वरायाः | ईश्वरा (६.१) |
स्रस्तोरगप्रतिसरेण | स्रस्त (√स्रंस् + क्त)–उरग–प्रतिसर (३.१) |
करेण | कर (३.१) |
पाणिः | पाणि (१.१) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
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अ | स्मि | न्न | गृ | ह्य | त | पि | ना | क | भृ | ता | स | ली | ल |
मा | ब | द्ध | वे | प | थु | र | धी | र | वि | लो | च | ना | याः |
वि | न्य | स्त | म | ङ्ग | ल | म | हौ | ष | धि | री | श्व | रा | याः |
स्र | स्तो | र | ग | प्र | ति | स | रे | ण | क | रे | ण | पा | णिः |
त | भ | ज | ज | ग | ग |