भव्यो | भव्य (१.१) |
भवन्न् | भवत् (√भू + शतृ, १.१) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
मुनेर् | मुनि (६.१) |
इह | इह (अव्ययः) |
शासनेन | शासन (३.१) |
क्षात्रे | क्षात्र (७.१) |
स्थितः | स्थित (√स्था + क्त, १.१) |
पथि | पथिन् (७.१) |
तपस्य | तप (६.१) |
हतप्रमादः | हत (√हन् + क्त)–प्रमाद (१.१) |
प्रायेण | प्रायेण (अव्ययः) |
सत्य् | सत् (√अस् + शतृ, ७.१) |
अपि | अपि (अव्ययः) |
हितार्थकरे | हित–अर्थ–कर (७.१) |
विधौ | विधि (७.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
श्रेयांसि | श्रेयस् (२.३) |
लब्धुम् | लब्धुम् (√लभ् + तुमुन्) |
असुखानि | असुख (२.३) |
विनान्तरायैः | विना (अव्ययः)–अन्तराय (३.३) |
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भ | व्यो | भ | व | न्न | पि | मु | ने | रि | ह | शा | स | ने | न |
क्षा | त्रे | स्थि | तः | प | थि | त | प | स्य | ह | त | प्र | मा | दः |
प्रा | ये | ण | स | त्य | पि | हि | ता | र्थ | क | रे | वि | धौ | हि |
श्रे | यां | सि | ल | ब्धु | म | सु | खा | नि | वि | ना | न्त | रा | यैः |
त | भ | ज | ज | ग | ग |