पदच्छेदः
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विदिताः | विदित (√विद् + क्त, १.३) |
प्रविश्य | प्रविश्य (√प्र-विश् + ल्यप्) |
विहितानतयः | विहित (√वि-धा + क्त)–आनति (१.३) |
शिथिलीकृते | शिथिलीकृत (√शिथिली-कृ + क्त, ७.१) |
ऽधिकृतकृत्यविधौ | अधिकृत (√अधि-कृ + क्त)–कृत्य–विधि (७.१) |
अनपेतकालम् | अन् (अव्ययः)–अपेत (√अप-इ + क्त)–काल (२.१) |
अभिरामकथाः | अभिराम–कथा (२.३) |
कथयांबभूवुर् | कथयांबभूवुः (√कथय् प्र.पु. बहु.) |
इति | इति (अव्ययः) |
गोत्रभिदे | गोत्रभिद् (४.१) |
छन्दः
प्रमिताक्षरा [१२: सजसस]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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वि | दि | ताः | प्र | वि | श्य | वि | हि | ता | न | त | यः |
शि | थि | ली | कृ | ते | ऽधि | कृ | त | कृ | त्य | वि | धौ |
अ | न | पे | त | का | ल | म | भि | रा | म | क | थाः |
क | थ | यां | ब | भू | वु | रि | ति | गो | त्र | भि | दे |
स | ज | स | स |