पदच्छेदः
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अनुहेमवप्रम् | अनु (अव्ययः)–हेमन्–वप्र (२.१) |
अरुणैः | अरुण (३.३) |
समतां | सम–ता (२.१) |
गतम् | गत (√गम् + क्त, २.१) |
ऊर्मिभिः | ऊर्मि (३.३) |
सहचरं | सहचर (२.१) |
पृथुभिः | पृथु (३.३) |
स | तद् (१.१) |
रथाङ्गनामवनितां | रथाङ्ग–नामन्–वनिता (२.१) |
करुणैर् | करुण (३.३) |
अनुबध्नतीम् | अनुबध्नत् (√अनु-बन्ध् + शतृ, २.१) |
अभिननन्द | अभिननन्द (√अभि-नन्द् लिट् प्र.पु. एक.) |
रुतैः | रुत (३.३) |
छन्दः
प्रमिताक्षरा [१२: सजसस]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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अ | नु | हे | म | व | प्र | म | रु | णैः | स | म | तां |
ग | त | मू | र्मि | भिः | स | ह | च | रं | पृ | थु | भिः |
स | र | था | ङ्ग | ना | म | व | नि | तां | क | रु | णै |
र | नु | ब | ध्न | ती | म | भि | न | न | न्द | रु | तैः |
स | ज | स | स |