पदच्छेदः
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प्रस्थानश्रमजनितां | प्रस्थान–श्रम–जनित (√जनय् + क्त, २.१) |
विहाय | विहाय (√वि-हा + ल्यप्) |
निद्राम् | निद्रा (२.१) |
आमुक्ते | आमुक्त (√आ-मुच् + क्त, ७.१) |
गजपतिना | गज–पति (३.१) |
सदानपङ्के | स (अव्ययः)–दान–पङ्क (७.१) |
शय्यान्ते | शय्या–अन्त (७.१) |
कुलमलिनां | कुल–मलिन (२.१) |
क्षणं | क्षण (२.१) |
विलीनं | विलीन (√वि-ली + क्त, १.१) |
संरम्भच्युतम् | संरम्भ–च्युत (√च्यु + क्त, १.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
शृङ्खलं | शृङ्खल (१.१) |
चकाशे | चकाशे (√काश् लिट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
प्रहर्षिणी [१३: मनजरग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ |
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प्र | स्था | न | श्र | म | ज | नि | तां | वि | हा | य | नि | द्रा |
मा | मु | क्ते | ग | ज | प | ति | ना | स | दा | न | प | ङ्के |
श | य्या | न्ते | कु | ल | म | लि | नां | क्ष | णं | वि | ली | नं |
सं | र | म्भ | च्यु | त | मि | व | शृ | ङ्ख | लं | च | का | शे |
म | न | ज | र | ग |