तनूर् | तनु (२.३) |
अलक्तारुणपाणिपल्लवाः | अलक्त–अरुण–पाणिपल्लव (१.३) |
स्फुरन्नखांशूत्करमञ्जरीभृतः | स्फुरत् (√स्फुर् + शतृ)–नख–अंशु–उत्कर–मञ्जरी–भृत् (१.३) |
विलासिनीबाहुलता | विलासिनी–बाहु–लता (१.३) |
वनालयो | वन–आलय (१.१) |
विलेपनामोदहृताः | विलेपन–आमोद–हृत (√हृ + क्त, १.३) |
सिषेविरे | सिषेविरे (√सेव् लिट् प्र.पु. बहु.) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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त | नू | र | ल | क्ता | रु | ण | पा | णि | प | ल्ल | वाः |
स्फु | र | न्न | खां | शू | त्क | र | म | ञ्ज | री | भृ | तः |
वि | ला | सि | नी | बा | हु | ल | ता | व | ना | ल | यो |
वि | ले | प | ना | मो | द | हृ | ताः | सि | षे | वि | रे |
ज | त | ज | र |