अधिगतपरमार्थान् | अधिगत (√अधि-गम् + क्त)–परम–अर्थ (२.३) |
पण्डितान् | पण्डित (२.३) |
मावमंस्थास्तृणम् | मा (अव्ययः)–अवमंस्थाः (√अव-मन् म.पु. )–तृण (२.१) |
इव | इव (अव्ययः) |
लघु | लघु (२.१) |
लक्ष्मीर् | लक्ष्मी (१.१) |
नैव | न (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
तान् | तद् (२.३) |
संरुणद्धि | संरुणद्धि (√सम्-रुध् लट् प्र.पु. एक.) |
अभिनवमदलेखाश्यामगण्डस्थलानां | अभिनव–मद–लेखा–श्याम–गण्ड–स्थल (६.३) |
न | न (अव्ययः) |
भवति | भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.) |
बिसतन्तुर् | बिस–तन्तु (१.१) |
वारणं | वारण (१.१) |
वारणानाम् | वारण (६.३) |
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अ | धि | ग | त | प | र | मा | र्था | न्प | ण्डि | ता | न्मा | व | मं | स्था |
स्तृ | ण | मि | व | ल | घु | ल | क्ष्मी | र्नै | व | ता | न्सं | रु | ण | द्धि |
अ | भि | न | व | म | द | ले | खा | श्या | म | ग | ण्ड | स्थ | ला | नां |
न | भ | व | ति | बि | स | त | न्तु | र्वा | र | णं | वा | र | णा | नाम् |
न | न | म | य | य |