त्वम् | त्वद् (१.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
चातकाधारो | चातक–आधार (१.१) |
ऽसीति | असि (√अस् लट् म.पु. )–इति (अव्ययः) |
केषां | क (६.३) |
न | न (अव्ययः) |
गोचरः | गोचर (१.१) |
किम् | किम् (अव्ययः) |
अम्भोदवरास्माकं | अम्भोद–वर (८.१)–मद् (६.३) |
कार्पण्योक्तं | कार्पण्य–उक्त (√वच् + क्त, २.१) |
प्रतीक्षसे | प्रतीक्षसे (√प्रति-ईक्ष् लट् म.पु. ) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त्व | मे | व | चा | त | का | धा | रो |
ऽसी | ति | के | षां | न | गो | च | रः |
कि | म | म्भो | द | व | रा | स्मा | कं |
का | र्प | ण्यो | क्तं | प्र | ती | क्ष | से |