पदच्छेदः
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जाड्यं | जाड्य (१.१) |
ह्रीमति | ह्रीमत् (७.१) |
गण्यते | गण्यते (√गणय् प्र.पु. एक.) |
व्रतरुचौ | व्रत–रुचि (७.१) |
दम्भः | दम्भ (१.१) |
शुचौ | शुचि (७.१) |
कैतवं | कैतव (१.१) |
शूरे | शूर (७.१) |
निर्घृणता | निर्घृण–ता (१.१) |
मुनौ | मुनि (७.१) |
विमतिता | विमति–ता (१.१) |
दैन्यं | दैन्य (१.१) |
प्रियालापिनि | प्रिय–आलापिन् (७.१) |
तेजस्विन्य् | तेजस्विन् (७.१) |
अवलिप्तता | अवलिप्त–ता (१.१) |
मुखरता | मुखर–ता (१.१) |
वक्तर्यशक्तिः | वक्तृ (७.१)–अशक्ति (१.१) |
स्थिरे | स्थिर (७.१) |
तत् | तद् (१.१) |
को | क (१.१) |
नाम | नाम (अव्ययः) |
गुणो | गुण (१.१) |
भवेत् | भवेत् (√भू विधिलिङ् प्र.पु. एक.) |
स | तद् (१.१) |
गुणिनां | गुणिन् (६.३) |
यो | यद् (१.१) |
दुर्जनैर् | दुर्जन (३.३) |
नाङ्कितः | न (अव्ययः)–अङ्कित (√अङ्कय् + क्त, १.१) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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जा | ड्यं | ह्री | म | ति | ग | ण्य | ते | व्र | त | रु | चौ | द | म्भः | शु | चौ | कै | त | वं |
शू | रे | नि | र्घृ | ण | ता | मु | नौ | वि | म | ति | ता | दै | न्यं | प्रि | या | ला | पि | नि |
ते | ज | स्वि | न्य | व | लि | प्त | ता | मु | ख | र | ता | व | क्त | र्य | श | क्तिः | स्थि | रे |
त | त्को | ना | म | गु | णो | भ | वे | त्स | गु | णि | नां | यो | दु | र्ज | नै | र्ना | ङ्कि | तः |
म | स | ज | स | त | त | ग |