पदच्छेदः
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लोभश् | लोभ (१.१) |
चेद् | चेद् (अव्ययः) |
अगुणेन | अगुण (३.१) |
किं | क (१.१) |
पिशुनता | पिशुन–ता (१.१) |
यद्य् | यदि (अव्ययः) |
अस्ति | अस्ति (√अस् लट् प्र.पु. एक.) |
किं | क (१.१) |
पातकैः | पातक (३.३) |
सत्यं | सत्य (१.१) |
चेत् | चेद् (अव्ययः) |
तपसा | तपस् (३.१) |
च | च (अव्ययः) |
किं | क (१.१) |
शुचि | शुचि (१.१) |
मनो | मनस् (१.१) |
यद्यस्ति | यदि (अव्ययः)–अस्ति (√अस् लट् प्र.पु. एक.) |
तीर्थेन | तीर्थ (३.१) |
किम् | क (१.१) |
सौजन्यं | सौजन्य (१.१) |
यदि | यदि (अव्ययः) |
किं | क (१.१) |
गुणैः | गुण (३.३) |
सुमहिमा | सु (अव्ययः)–महिमन् (१.१) |
यद्यस्ति | यदि (अव्ययः)–अस्ति (√अस् लट् प्र.पु. एक.) |
किं | क (१.१) |
मण्डनैः | मण्डन (३.३) |
सद्विद्या | सत्–विद्या (१.१) |
यदि | यदि (अव्ययः) |
किं | क (१.१) |
धनैर् | धन (३.३) |
अपयशो | अपयशस् (१.१) |
यद्यस्ति | यदि (अव्ययः)–अस्ति (√अस् लट् प्र.पु. एक.) |
किं | क (१.१) |
मृत्युना | मृत्यु (३.१) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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लो | भ | श्चे | द | गु | णे | न | किं | पि | शु | न | ता | य | द्य | स्ति | किं | पा | त | कैः |
स | त्यं | चे | त्त | प | सा | च | किं | शु | चि | म | नो | य | द्य | स्ति | ती | र्थे | न | किम् |
सौ | ज | न्यं | य | दि | किं | गु | णैः | सु | म | हि | मा | य | द्य | स्ति | किं | म | ण्ड | नैः |
स | द्वि | द्या | य | दि | किं | ध | नै | र | प | य | शो | य | द्य | स्ति | किं | मृ | त्यु | ना |
म | स | ज | स | त | त | ग |