पदच्छेदः
Click to Toggle
पद्माकरं | पद्म–आकर (२.१) |
दिनकरो | दिनकर (१.१) |
विकचीकरोति | विकचीकरोति (√विकची-कृ लट् प्र.पु. एक.) |
कैरवचक्रवालम् | कैरव–चक्रवाल (२.१) |
नाभ्यर्थितो | न (अव्ययः)–अभ्यर्थित (√अभि-अर्थय् + क्त, १.१) |
जलधरो | जलधर (१.१) |
ऽपि | अपि (अव्ययः) |
जलं | जल (२.१) |
ददाति | ददाति (√दा लट् प्र.पु. एक.) |
सन्तः | सत् (१.३) |
स्वयं | स्वयम् (अव्ययः) |
परहिते | पर–हित (७.१) |
विहिताभियोगाः | विहित (√वि-धा + क्त)–अभियोग (१.३) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
---|
प | द्मा | क | रं | दि | न | क | रो | वि | क | ची | क | रो | ति |
च | म्द्र्प्वो | ला | स | य | ति | कै | र | व | च | क्र | वा | लम् |
ना | भ्य | र्थि | तो | ज | ल | ध | रो | ऽपि | ज | लं | द | दा | ति |
स | न्तः | स्व | यं | प | र | हि | ते | वि | हि | ता | भि | यो | गाः |
त | भ | ज | ज | ग | ग |