विश्रम्य | विश्रम्य (√वि-श्रम् + ल्यप्) |
विश्रम्य | विश्रम्य (√वि-श्रम् + ल्यप्) |
वनद्रुमाणां | वन–द्रुम (६.३) |
छायासु | छाया (७.३) |
तन्वी | तन्वी (१.१) |
विचचार | विचचार (√वि-चर् लिट् प्र.पु. एक.) |
काचित् | कश्चित् (१.१) |
स्तनोत्तरीयेण | स्तन–उत्तरीय (३.१) |
करोद्धृतेन | कर–उद्धृत (√उद्-धृ + क्त, ३.१) |
निवारयन्ती | निवारयत् (√नि-वारय् + शतृ, १.१) |
शशिनो | शशिन् (६.१) |
मयूखान् | मयूख (२.३) |
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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वि | श्र | म्य | वि | श्र | म्य | व | न | द्रु | मा | णां |
छा | या | सु | त | न्वी | वि | च | चा | र | का | चित् |
स्त | नो | त्त | री | ये | ण | क | रो | द्धृ | ते | न |
नि | वा | र | य | न्ती | श | शि | नो | म | यू | खान् |