पदच्छेदः
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एताश् | एतद् (१.३) |
चलद्वलयसंहतिमेखलोत्थझङ्कारनूपुरपराजितराजहंस्यः | चलत् (√चल् + शतृ)–वलय–संहति–मेखला–उत्थ–झङ्कार–नूपुर–पराजित (√परा-जि + क्त)–राजहंसी (१.३) |
कुर्वन्ति | कुर्वन्ति (√कृ लट् प्र.पु. बहु.) |
कस्य | क (६.१) |
न | न (अव्ययः) |
मनो | मनस् (२.१) |
विवशं | विवश (२.१) |
तरुण्यो | तरुण (१.३) |
वित्रस्तमुग्धहरिणीसदृशैः | वित्रस्त (√वि-त्रस् + क्त)–मुग्ध (√मुह् + क्त)–हरिणी–सदृश (३.३) |
कटाक्षैः | कटाक्ष (३.३) |
छन्दः
वसन्ततिलका [१४: तभजजगग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ |
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ए | ता | श्च | ल | द्व | ल | य | सं | ह | ति | मे | ख | लो | त्थ |
झ | ङ्का | र | नू | पु | र | प | रा | जि | त | रा | ज | हं | स्यः |
कु | र्व | न्ति | क | स्य | न | म | नो | वि | व | शं | त | रु | ण्यो |
वि | त्र | स्त | मु | ग्ध | ह | रि | णी | स | दृ | शैः | क | टा | क्षैः |
त | भ | ज | ज | ग | ग |