पदच्छेदः
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आशा | आशा (१.१) |
नाम | नाम (अव्ययः) |
नदी | नदी (१.१) |
मनोरथजला | मनोरथ–जल (१.१) |
तृष्णातरङ्गाकुला | तृष्णा–तरंग–आकुल (१.१) |
रागग्राहवती | राग–ग्राहवत् (१.१) |
वितर्कविहगा | वितर्क–विहग (१.१) |
धैर्यद्रुमध्वंसिनी | धैर्य–द्रुम–ध्वंसिन् (१.१) |
मोहावर्तसुदुस्तरातिगहना | मोह–आवर्त–सु (अव्ययः)–दुस्तर (१.१)–अति (अव्ययः)–गहन (१.१) |
प्रोत्तुङ्गचिन्तातटी | प्रोत्तुङ्ग–चिन्ता (१.१)–तटी (१.१) |
तस्याः | तद् (६.१) |
परगता | पर–गत (√गम् + क्त, १.३) |
विशुद्धम् | विशुद्ध (√वि-शुध् + क्त, २.१) |
अलसो | अलस (१.१) |
नन्दन्ति | नन्दन्ति (√नन्द् लट् प्र.पु. बहु.) |
योगीश्वराः | योगिन्–ईश्वर (१.३) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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आ | शा | ना | म | न | दी | म | नो | र | थ | ज | ला | तृ | ष्णा | त | र | ङ्गा | कु | ला |
रा | ग | ग्रा | ह | व | ती | वि | त | र्क | वि | ह | गा | धै | र्य | द्रु | म | ध्वं | सि | नी |
मो | हा | व | र्त | सु | दु | स्त | रा | ति | ग | ह | ना | प्रो | त्तु | ङ्ग | चि | न्ता | त | टी |
त | स्याः | प | र | ग | ता | वि | शु | द्ध | म | ल | सो | न | न्द | न्ति | यो | गी | श्व | राः |
म | स | ज | स | त | त | ग |