पदच्छेदः
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एको | एक (१.१) |
रागिषु | रागिन् (७.३) |
राजते | राजते (√राज् लट् प्र.पु. एक.) |
प्रियतमादेहार्धहारी | प्रियतम–अ (अव्ययः)–देह–अर्ध–हारिन् (१.१) |
हरो | हर (१.१) |
नीरागेषु | नीराग (७.३) |
जनो | जन (१.१) |
विमुक्तललनासङ्गो | विमुक्त (√वि-मुच् + क्त)–ललना–आसङ्ग (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
यस्मात् | यद् (५.१) |
परः | पर (१.१) |
दुर्वारस्मरबाणपन्नगविषव्याविद्धमुग्धो | दुर्वार–स्मर–बाण–पन्नग–विष–व्याविद्ध (√व्या-व्यध् + क्त)–मुग्ध (√मुह् + क्त, १.१) |
जनः | जन (१.१) |
शेषः | शेष (१.१) |
कामविडम्बितान् | काम–विडम्बित (√वि-डम्बय् + क्त, २.३) |
न | न (अव्ययः) |
विषयान् | विषय (२.३) |
भोक्तुं | भोक्तुम् (√भुज् + तुमुन्) |
न | न (अव्ययः) |
मोक्तुं | मोक्तुम् (√मुच् + तुमुन्) |
क्षमः | क्षम (१.१) |
छन्दः
शार्दूलविक्रीडितम् [१९: मसजसततग]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ | १३ | १४ | १५ | १६ | १७ | १८ | १९ |
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ए | को | रा | गि | षु | रा | ज | ते | प्रि | य | त | मा | दे | हा | र्ध | हा | री | ह | रो |
नी | रा | गे | षु | ज | नो | वि | मु | क्त | ल | ल | ना | स | ङ्गो | न | य | स्मा | त्प | रः |
दु | र्वा | र | स्म | र | बा | ण | प | न्न | ग | वि | ष | व्या | बि | द्ध | मु | ग्धो | ज | नः |
शे | षः | का | म | वि | ड | म्बि | ता | न्न | वि | ष | या | न्भो | क्तुं | न | मो | क्तुं | क्ष | मः |
म | स | ज | स | त | त | ग |