Summary
Arjuna said O Acyuta! Please halt my chariot at a centre place between the two armies, so that I may scrutinize these men who are standing with desire to fight and with whom I have to fight in this great war-effort.
पदच्छेदः
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हृषीकेशं | हृषीकेश (२.१) |
तदा | तदा (अव्ययः) |
वाक्यमिदमाह | वाक्य (२.१)–इदम् (२.१)–आह (√अह् लिट् प्र.पु. एक.) |
महीपते | महीपति (८.१) |
सेनयोरुभयोर्मध्ये | सेना (६.२)–उभय (६.२)–मध्य (७.१) |
रथं | रथ (२.१) |
स्थापय | स्थापय (√स्थापय् लोट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
ऽच्युत | अच्युत (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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हृ | षी | के | शं | त | दा | वा | क्य |
मि | द | मा | ह | म | ही | प | ते |
से | न | यो | रु | भ | यो | र्म | ध्ये |
र | थं | स्था | प | य | मे | ऽच्यु | त |