Summary
Arjuna Said O krsna! On seeing these war-mongering kinsfolks of my own, arrayed [in the armies], my limbs fail and my mouth goes dry;
पदच्छेदः
Click to Toggle
श्वशुरान्सुहृदश्चैव | श्वशुर (२.३)–सुहृद् (२.३)–च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
सेनयोरुभयोरपि | सेना (७.२)–उभय (७.२)–अपि (अव्ययः) |
तान्समीक्ष्य | तद् (२.३)–समीक्ष्य (√सम्-ईक्ष् + ल्यप्) |
स | तद् (१.१) |
कौन्तेयः | कौन्तेय (१.१) |
सर्वान्बन्धूनवस्थितान् | सर्व (२.३)–बन्धु (२.३)–अवस्थित (√अव-स्था + क्त, २.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
श्व | शु | रा | न्सु | हृ | द | श्चै | व |
से | न | यो | रु | भ | यो | र | पि |
ता | न्स | मी | क्ष्य | स | कौ | न्ते | यः |
स | र्वा | न्ब | न्धू | न | व | स्थि | तान् |