Summary
I also do not foresee any good by killing my own kinsmen in the battle. O Krsna! I wish niether victory, nor kingdom, nor the pleasures [thereof].
पदच्छेदः
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गाण्डीवं | गाण्डीव (१.१) |
स्रंसते | स्रंसते (√स्रंस् लट् प्र.पु. एक.) |
हस्तात्त्वक्चैव | हस्त (५.१)–त्वच् (१.१)–च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
परिदह्यते | परिदह्यते (√परि-दह् प्र.पु. एक.) |
न | न (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
शक्नोम्यवस्थातुं | शक्नोमि (√शक् लट् उ.पु. )–अवस्थातुम् (√अव-स्था + तुमुन्) |
भ्रमतीव | भ्रमति (√भ्रम् लट् प्र.पु. एक.)–इव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
मनः | मनस् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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गा | ण्डी | वं | स्रं | स | ते | ह | स्ता |
त्त्व | क्चै | व | प | रि | द | ह्य | ते |
न | च | श | क्नो | म्य | व | स्था | तुं |
भ्र | म | ती | व | च | मे | म | नः |