Summary
How could we be happy indeed, O Madhava, after slaying our own kinsmen ?
पदच्छेदः
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तस्मान्नार्हा | तस्मात् (अव्ययः)–न (अव्ययः)–अर्ह (१.३) |
वयं | मद् (१.३) |
हन्तुं | हन्तुम् (√हन् + तुमुन्) |
धार्तराष्ट्रान्सबान्धवान् | धार्तराष्ट्र (२.३)–स (अव्ययः)–बान्धव (२.३) |
स्वजनं | स्व–जन (२.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
कथं | कथम् (अव्ययः) |
हत्वा | हत्वा (√हन् + क्त्वा) |
सुखिनः | सुखिन् (१.३) |
स्याम | स्याम (√अस् विधिलिङ् उ.पु. द्वि.) |
माधव | माधव (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | स्मा | न्ना | र्हा | व | यं | ह | न्तुं |
धा | र्त | रा | ष्ट्रा | न्स | बा | न्ध | वान् |
स्व | ज | नं | हि | क | थं | ह | त्वा |
सु | खि | नः | स्या | म | मा | ध | व |