Summary
Because of the domination of impiety, O Krsna, the women of the family become corrupt; when the women become corrupt, O member of the Vrsni-clan, there arises the intermixture of castes;
पदच्छेदः
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अधर्माभिभवात्कृष्ण | अधर्म–अभिभव (५.१)–कृष्ण (८.१) |
प्रदुष्यन्ति | प्रदुष्यन्ति (√प्र-दुष् लट् प्र.पु. बहु.) |
कुलस्त्रियः | कुल–स्त्री (१.३) |
स्त्रीषु | स्त्री (७.३) |
दुष्टासु | दुष्ट (√दुष् + क्त, ७.३) |
वार्ष्णेय | वार्ष्णेय (८.१) |
जायते | जायते (√जन् लट् प्र.पु. एक.) |
वर्णसंकरः | वर्ण–संकर (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | ध | र्मा | भि | भ | वा | त्कृ | ष्ण |
प्र | दु | ष्य | न्ति | कु | ल | स्त्रि | यः |
स्त्री | षु | दु | ष्टा | सु | वा | र्ष्णे | य |
जा | य | ते | व | र्ण | सं | क | रः |