Summary
The intermixture leads the family-ruiners and the family to nothing but the hell; for, their ancestors (their individual souls) fall down [in hell], being deprived of the rites of offering rice-balls and water [intended to them].
पदच्छेदः
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संकरो | संकर (१.१) |
नरकायैव | नरक (४.१)–एव (अव्ययः) |
कुलघ्नानां | कुल–घ्न (६.३) |
कुलस्य | कुल (६.१) |
च | च (अव्ययः) |
पतन्ति | पतन्ति (√पत् लट् प्र.पु. बहु.) |
पितरो | पितृ (१.३) |
ह्येषां | हि (अव्ययः)–इदम् (६.३) |
लुप्तपिण्डोदकक्रियाः | लुप्त (√लुप् + क्त)–पिण्ड–उदक–क्रिया (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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सं | क | रो | न | र | का | यै | व |
कु | ल | घ्ना | नां | कु | ल | स्य | च |
प | त | न्ति | पि | त | रो | ह्ये | षां |
लु | प्त | पि | ण्डो | द | क | क्रि | याः |