Summary
And of the Rudras, I am Sankara; of the Yaksas and the Raksas, [I am] the Lord-of-Wealth (Kubera); of the Vasus, I am the Fire-god; of the mountains, I am the Meru.
पदच्छेदः
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रुद्राणां | रुद्र (६.३) |
शंकरश्चास्मि | शंकर (१.१)–च (अव्ययः)–अस्मि (√अस् लट् उ.पु. ) |
वित्तेशो | वित्तेश (१.१) |
यक्षरक्षसाम् | यक्ष–रक्षस् (६.३) |
वसूनां | वसु (६.३) |
पावकश्चास्मि | पावक (१.१)–च (अव्ययः)–अस्मि (√अस् लट् उ.पु. ) |
मेरुः | मेरु (१.१) |
शिखरिणामहम् | शिखरिन् (६.३)–मद् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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रु | द्रा | णां | शं | क | र | श्चा | स्मि |
वि | त्ते | शो | य | क्ष | र | क्ष | साम् |
व | सू | नां | पा | व | क | श्चा | स्मि |
मे | रुः | शि | ख | रि | णा | म | हम् |