Summary
Of all trees, I am the Pipal-tree; and of the divine seers, Narada; of the Gandharvas (the celestial musicians), Citraratha; of the perfected ones, the sage Kapila.
पदच्छेदः
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अश्वत्थः | अश्वत्थ (१.१) |
सर्ववृक्षाणां | सर्व–वृक्ष (६.३) |
देवर्षीणां | देव–ऋषि (६.३) |
च | च (अव्ययः) |
नारदः | नारद (१.१) |
गन्धर्वाणां | गन्धर्व (६.३) |
चित्ररथः | चित्ररथ (१.१) |
सिद्धानां | सिद्ध (६.३) |
कपिलो | कपिल (१.१) |
मुनिः | मुनि (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | श्व | त्थः | स | र्व | वृ | क्षा | णां |
दे | व | र्षी | णां | च | ना | र | दः |
ग | न्ध | र्वा | णां | चि | त्र | र | थः |
सि | द्धा | नां | क | पि | लो | मु | निः |